के आसपास का टाल्मी को ‘भूगोल’ (ज्योग्रफिका), प्लिनी की ‘नेचुरल हिस्टोरिका’ (ई. की प्रथम सदी) महत्त्वपूर्ण हैं। प्लिनी की ‘नेचुरल हिस्टोरिका‘ से भारतीय पशु, पेड़-पौधों एवं खनिज पदार्थों की जानकारी मिलती है। इसी प्रकार एरेलियन के लेख तथा कर्टियस, जस्टिन और स्ट्रैबो के विवरण भी प्राचीन भारत इतिहास के अध्ययन की सामग्रियाँ प्रदान करते हैं। ‘पेरीप्लस आफ द एरिथ्रियन सी’ ग्रंथ में भारतीय बंदरगाहों एवं व्यापारिक वस्तुओं का विवरण मिलता है।
बरनी ने इस ग्रंथ में खिलजी तथा तुगलक वंश का आंखों देखा वर्णन लिखा है। इस ग्रंथ के बारे में उसने लिखा है, ‘‘यह एक ठोस रचना है, जिसमें अनेक गुण सम्मिलित हैं। जो इसे इतिहास समझकर पढ़ेगा, उसे राजाओं और के अलावा सामाजिक, आर्थिक एवं न्यायिक सुधारों का भी वर्णन किया है। इसमें कवियों, दार्शनिकों तथा संतों की लम्बी सूची दी गयी है। बरनी ने जलालुद्दीन तथा अलाउद्दीन के पतन के कारणों का भी वर्णन किया है। बरनी इतिहास की विकृत करने के विरूद्ध था। डॉ॰ ईश्वरीप्रसाद के अनुसार, ‘‘मध्यकालीन इतिहासकारों में बरनी ही अकेला ऐसा व्यक्ति है, जो सत्य पर जोर देता है और चाटुकारिता तथा मिथ्या वर्णन से घृणा करता है।’’ इसके बाद भी इस ग्रंथ में तिथि सम्बन्धी दोष तथा धार्मिक पक्षपात देखने को मिलता है, किन्तु यह अमूल्य ऐतिहासिक कृति है। यू.
राजस्थानमधील जोधपूर शहरातील चामुंडा देवी मंदिरात बॉम्ब ठेवला असल्याची अफवा पसरली आणि तिथे पोहोचलेल्या भाविकांमध्ये गोंधळ उडाला.
भारत में प्राचीन काल में तीन मुख्य धर्मो हिन्दू, बौद्ध तथा जैन धर्म का उदय हुआ। इन धर्मों के विस्तार के साथ-साथ विभिन्न दार्शनिकों, विद्वानों तथा धर्माचार्यो द्वारा अनेक धार्मिक पुस्तकों की रचना की गयी।इन रचनाओं में प्राचीन भारत के समाज, संस्कृति, स्थापत्य, लोगों की जीवनशैली व अर्थव्यवस्था इत्यादि के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। धार्मिक साहित्य की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं:
) जैसे गणराज्यों ने भी सिक्के जारी किये थे। यौधेय शासकों द्वारा जारी ताँबे के हजारों सिक्के मिले हैं, जिनसे यौधेयों की व्यापार में रुचि और सहभागिता परिलक्षित होती है।
गैर-इतिहासकार मानते हैं कि इतिहासकारों ने हमेशा उसी तरह इतिहास से संपर्क किया है जैसा वे सोचते हैं। इतिहासकार यह जानते हैं कि इतिहास का दर्शन और कार्यप्रणाली समय के साथ बदली है और बदलती रहेगी। सभी ऐतिहासिक विषयों की कई अलग-अलग व्याख्याएं मौजूद हैं। इतिहासकारों को अंतर को पहचानने के लिए काम करना चाहिए। अपने here क्षेत्र में तथ्यों और व्याख्याओं के बीच। इतिहास लेखन इतिहास, दर्शन और को संदर्भित करता है। इतिहास की पद्धति। इतिहासकारों को अपने अध्ययन के विशेष क्षेत्र के इतिहासलेखन से परिचित होना चाहिए।
परंतु जब भारतीय पुरातात्विक विभाग ने इस घाटी की खुदाई की थी तब उन्हें दो पुराने शहर के बारे में पता चला था। मोहनजोदाड़ो हड़प्पा
इस ग्रंथ की रचना कायस्थ जाति के भीमसेन ने फारसी भाषा में की। वह औरंगजेब की सेना में क्लर्क था। उसने उसकी सेना के साथ कई युद्धों में भाग लिया था। मुगल सेना द्वारा पनहाला का दुर्ग घेरे जाने पर उसने सैनिक सेवा छोड़ दी तथा इस ग्रंथ की रचना शुरू की। इस ग्रंथ में वर्णित घटनाएं सत्य हैं। लेखक ने ऐतिहासिक व्यक्तियों के चरित्र का यथार्थता में चित्रण किया है। इस ग्रंथ में चापलूसी देखने को नहीं मिलती। अतः जे.
दिल्ली की सल्तनत पर पांच वंशों ने शासन किया-
भारत में प्रागैतिहासिक संस्कृतियाँ : मध्यपाषाण काल और नवपाषाण काल
त्यासाठी पायऱ्या आहेत. पायऱ्यांच्या दुतर्फा पूजेच्या साहित्याची दुकानं आहेत.
) की ‘जमी-अल-तवारीख’, अली अहमद की ‘चचनामा’ (फतहनामा), मिन्हाज-उस-सिराज की ‘तबकात-ए-नासिरी’, जियाउद्दीन बरनी की ‘तारीख-ए-फिरोजशाही’ एवं अबुल फजल की ‘अकबरनामा’ आदि ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण कृतियाँ हैं।
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना : पात्रतेच्या अटी बदलल्या, अर्जाची तारीखही वाढवली, जाणून घ्या नवे बदल
(ग) उत्तर से दक्षिण चलने पर क्षितिज का स्थानांतरण और नयी नयी नक्षत्र राशियों का उदय होना। अरस्तु ने ही पहले पहल समशीतोष्ण कटिबंध की सीमा क्रांतिमंडल से घ्रुव वृत्त तक निश्चित की थी।